महाविद्यालय का शुभारम्भ नगर में नारी उच्च शिक्षा की आवश्यकता पूर्ति हेतु जुलाई 2000 में कर्मवीर एवं समाजसेवी साहू स्व॰ अशोक कुमार जैन के महादान के फलस्वरूप स्नातक कला संकाय में 7 विषयों ;हिन्दी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, चित्रकला, संगीत गायन तथा गृहविज्ञानद्ध के साथ स्थापित किया गया। महाविद्यालय एम.जे.पी. रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली से सम्ब( है। सत्र 2002-03 में मनोविज्ञान एवं शिक्षाशास्त्र जैसे प्रायोगिक विषय आरम्भ किये गये। सत्र 2010-11 में स्नातक वाणिज्य-संकाय का शुभारम्भ हुआ। स्त्री शिक्षा की प्रतिबद्धता के उद्देश्य हेतु सत्र 2012-13 से स्नातकोत्तर कक्षा अध्ययन विषय एम.ए. अंग्रेजी साहित्य तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम बी.सी.ए. का उच्च स्तरीय अध्ययन-अध्यापन शुभारम्भ होने के साथ महाविद्यालय प्रगति के इतिहास का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ। साहू श्री अखिलेश जैन के कुशल नेतृत्व में स्नातकोत्तर महाविद्यालय बनने से महाविद्यालय इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ा है। प्रबन्धतन्त्र के कुशल नेतृत्व के फलस्वरूप नारी उच्च शिक्षा की पूर्ति हेतु सत्र 2014-15 से वाणिज्य- संकायान्र्तगत स्नातकोत्तर कक्षा एम.काॅम. तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम बी.बी.ए. का अध्ययन प्रारम्भ कर महाविद्यालय के प्रगति का तीसरा चरण प्रारम्भ हुआ। सत्र 2018-19 से महाविद्यालय में विज्ञान संकायान्तर्गत बी.एससी. पाठ्यक्रम में 03 विषयों ;भौतिक विज्ञान, गणित तथा रसायन विज्ञानद्ध का अध्ययन प्रारम्भ किया गया। सत्र 2022-23 से नारी सशक्तिकरण जैसे पुनीत कार्य में सहभागिता हेतु विज्ञान संकायान्तर्गत बी.एससी. पाठ्यक्रम में दो अतिरिक्ति विषय वनस्पति विज्ञान एवं जन्तु विज्ञान के अध्यापन का शुभारम्भ किया गया।
महाविद्यालय में सत्र 2015-2016 से उ.प्र. राज£ष टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज का अध्ययन केन्द्र स्थापित कर एम.ए. शिक्षाशास्त्रद्ध पाठ्यक्रम, सत्र 2016-17 से एम.सी.ए. तथा सत्र 2020-21 से एम.ए. ;अर्थशास्त्र, गृहविज्ञान, समाज कार्य, योगाद्ध, एम.बी.ए., डिप्लोमा ;फैशन डिजाइञनग, टेक्सटाइल डिजाइञनग, डाइटेटिक्स एवं न्यूट्रीशन आदिद्धपाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।
2018 में महाविद्यालय इतिहास में उस समय एक नया अध्याय जुड़ा जब श्रीमती इन्दू जैन अध्यक्ष, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया नई दिल्ली ने कुछ अन्य विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण निर्माण योजनाएँ लेकर एक महान संकल्प के साथ महाविद्यालय की उन्नति हेतु आतुर होकर प्रबन्ध समिति का नेतृत्व सम्भाला।
महाविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत शिक्षिकाओं एवं छात्राओं के मध्य निरन्तर घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित कर युवा पीढ़ी को आधुनिक विषयों की शिक्षा देकर उनका मानसिक और शारीरिक विकास करना तथा उन्हें समाज का एक चरित्रवान, प्रभावशाली और जिम्मेदार नागरिक बनाकर राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा में उनकी सहभागिता को सुनिश्चित करना है। नई परिस्थितियों में अब उज्जवल एवं विकसित भारत के निर्माण के लिये प्रत्येक विद्यार्थी की प्रयोगात्मक, कलात्मक और रचनात्मक क्षमता को जागृत करने एवं उनमें वैज्ञानिक सोच तथा कत्र्तव्यपरायणता का बोध कराने में हमारे शिक्षिकाएँ प्रयत्नशील रहेंगी। छात्राओं में उच्च संस्कार, बौद्धिक लगन व कत्र्तव्यनिष्ठा जागृत करना हमारा लक्ष्य है।
प्रबुद्ध शिक्षक समूह अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुये छात्राओं को अपनी ज्ञानराशि से लाभान्वित कर रहा है। ज्ञान का यह केन्द्र पूर्णतः शान्त, अनुशासित एवं विभिन्न-शैक्षिक एवं शिक्षणेत्तर में निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है। उत्ड्डष्ट शैक्षिक वातावरण तथा श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम के कारण यह महाविद्यालय प्रसिद्ध को प्राप्त है। मुझे विश्वास है कि महाविद्यालय की छात्राएँ अपनी प्रतिभा का प्रकाश अनेक क्षेत्रों में फैलाएँगी तथा उच्च शिक्षा के विविध क्षेत्रों में अपनी योग्यता के नये कीर्तिमान स्थापित कर एक बेहतर राष्ट्र के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देंगी। इसी आशा के साथ आप इस शिक्षा के मन्दिर में प्रवेश लें।
समाज कल्याण उ.प्र. शासन द्वारा छात्राओं को छात्रवृत्ति एवं शुल्क वापिसी की सुविधा नियमानुसार उपलब्ध कराई जाती है ताकि कोई भी निर्धन छात्रा उच्च शिक्षा से वंचित न रह सके।
प्रबन्ध समिति के उपाध्यक्ष श्रीमती रेवती जैन के संरक्षण व कुशल नेतृत्व तथा प्रबन्धक श्री धर्मेश पारीक, सदस्य श्री धनुष वीर सिंह एवं प्रबन्ध समिति के समस्त सम्मानित सदस्यों के सद्दिशा निर्देशन में यह संस्था उत्तरोत्तर विकास की ओर अग्रसर है।
मेरी कामना है कि बौद्धक विकास एवं सांस्ड्डतिक दृष्टि से यह एक सशक्त उन्नत शिक्षा संस्था बने।